भारतीय ध्वज संहिता के खंड 2.2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो या बदरंग/बेरंग हो जाए या कट-फट जाए तो उसे अलग ले जाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए| यानी एक तरह से जलाकर या फिर किसी ऐसे तरीके से, जिसमें कि राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे|

राष्ट्रीय ध्वज यदि कागज का बना हो, तो इन ध्वजों को भी कभी जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए, अलग एक तरफ ले जाकर त्याग देना चाहिए या ऐसे ध्वज को बहते पानी में भी समर्पित कर सकते हैं|

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिये और न ही इसे कशीदाकारी या कुशन, रूमाल, नैपकिन या किसी ड्रेस सामग्री पर मुद्रित किया जाना चाहिये|

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का किसी प्रतिमा या स्मारक या वक्ता की डैस्क या वक्ता के मंच को ढकने के लिए उपयोग नहीं करना चाहिये|

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज जमीन या भूतल को स्पर्श नहीं करना चाहिये|

किसी यान, रेलगाड़ी, नाव या वायुयान या ऐसी ही किसी अन्य वस्तु के छत्रक, शिखर और पार्श्व भागों या पृष्ठ भाग पर या उस पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से आच्छादित नहीं करना चाहिये|

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का किसी भवन को ढकने के लिए नहीं उपयोग करना चाहिये|

इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम  राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971  है ।

जो कोई किसी सार्वजनिक स्थान में या जनता को दृष्टिगोचर किसी अन्य स्थान में, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अथवा भारत के संविधान या उसके किसी भाग को जलाएगा, विकृत करेगा, विरूपित करेगा, अपवित्र करेगा, विद्रूप करेगा, नष्ट करेगा या रौंदेगा या (चाहे बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा अथवा कार्यों द्वारा)  [उसके प्रति अन्यथा अनादर दर्शित करेगा या अपमान करेगा], वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।